Saturday 13 February 2016

Hospital

आज कई महीनो बाद हॉस्पिटल जाना हुआ, वैसे तो हॉस्पिटल जाना डॉक्टर्स के अलावा किसी को पसंद नही लेकिन फिर भी जाना ही पड़ता है। अंदर जाने पर देखा आज नार्मल दिनों से कुछ ज्यादा ही भीड़ थी, भीड़ को चीरता हुआ में आगे बढ़ रहा था, वहाँ का जो मंजर था वो मै फिर कभी देखना नही चाहूँगा।

चारो तरफ दर्द और दुःख देखना भला किसे अच्छा लगेगा। वहाँ बहुत से मरीजो को देख कर ही पता लगाया जा सकता था के वो काफी अमीर थे। हम इंसानो के मन की एक अजीब खासियत होती है वो परिस्थिति के हिसाब से खुद को एडजस्ट कर लेता है। वहाँ सब देख कर लगा के हमे अमीर होना चाहिए या खुश ?
आप जिंदगी को लेकर कितनें भी बड़े बड़े प्लान बना लो लेकिन कभी कभी एक छोटी सी बात आपके जीवन की दिशा बदल देती है । और मुझे पता लग गया के अमीर होने से कही ज्यादा जरूरी खुश और सुखी होना है ।

Monday 10 August 2015

ख़ुशियों का सिग्नल

हमेशा की तरह आज भी उठने में लेट हो गया, जब से जिंदगी में मोबाइल नाम की बीमारी हाथ में ली है तब से कभी टाइम पर उठ ही नही पाया , जल्दी से तैयार हो कर काम के निकला ही था के सिग्नल की रेड लाइट मुझे लेट करने के लिए मेरा इंतजार कर रही थी। मैं भी 60 सेकंड काटने के लिए इधर उधर देखने लगा , तभी सड़क पर मुझे कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया, गौर से देखने पर पता चला वो एक कांच का कंचा था। मैंने झुक के उसे उठा लिया , पास में खड़ा गाड़ी वाला मुझे ऐसे घूर रहा था जैसे मैंने कोई बेशकीमती हीरा उठा लिया हो ।
        जैसे ही मैंने कंचा मुट्ठी में दबाया में आँखों के परदे पर बचपन की यादों की मूवी चलने लगी, बचपन में दोस्तों के साथ बहुत कंचे खेले, हालाँकि में कभी जीतता नहीं था लेकिन खेलता बहुत था। शाम होते ही सभी दोस्त बरगद के निचे इक्कठे हो जाते थे कंचे खेलने, जिसके पास ज्यादा कंचे होते थे वो अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता था।और पुरे ग्रुप मे मेरी हालात सबसे खराब थी , लगातार हारने की वजह से सबसे कम कंचे मेरे पास ही होते थे , कभी कभी दोस्तों से लोन पे कंचे लेना पड़ते थे।
हम सब दोस्त कंचे खेल रहे थे , मैं भी आज सचिन की तरह चौके पे चौके मारे जा रहा था। में अपनी जिंदगी में पहली बार लगभग जीत ही चूका था तभी पीछे से जोरो के हॉर्न की आवाज आई और में जाग गया, अपने सपनो की दुनिया से बाहर आ गया . उस हॉर्न आवाज के साथ एक आवाज और आई "भाई मुंगेरीलाल , सपने देख लिए होतो गाड़ी आगे बढ़ाओ" ।
         और मेंने देखा ग्रीन सिग्नल हो चूका है , पीछे खड़े गाडी वाले जाने के लिए जल्दी मे है, मैंने भी बाइक स्टार्ट की और आगे बढ़ गया , मन में अभी भी यही चल रहा था की काश आज सिग्नल 15 सेकंड और रेड रहती तो में आज जीत जाता । आज पहली बार रेड लाइट पर गुस्सा नहीं आ रहा था , आज 60 सेकंड के लिए ही सही मुझे वो मेरे बचपन मे फिर से ले गयी ।
   

Sunday 12 July 2015

छोटी बड़ी खुशीयाँ

हर इंसान जीवन मे खुश रहना चाहता है , हर किसीको अपना चेहरा मुस्कुराया हुआ चाहिए। खुश रहने के लिए किसी बड़ी वजह की जरूरत नही होती, जिंदगी की गाड़ी को आगे धकेलते हुए ऐसे हजारो मौके मिलते है जो हमारी फीके दूध की चाय में शक्कर की मिठास का काम कर सकते है । जरुरत है तो बस उन छोटी छोटी खुशियो को बटोरने की।
     आखिर खुश होने के लिए हमे चाहिए ही क्या होता है , आसमान से गिरती बारिश की बूँद हो या किसी बच्चे की खुद की परछाई पकड़ने की मासूम सी हरकत या दोस्तों के साथ बिताये मस्ती के पलो की याद, खुश रहने के लिए ख़ुशी तक आपको ही पहुचना पड़ेगा क्योंकि दुःख तो खुद आपको ढूंढ ही लेगा।इसलिए खुश रहिये , मुस्कुराते रहिये और अपने आसपास भी खुशिया बाँटते रहिये क्योंकि जिंदगी एक लोकल ट्रेन की तरह है , किस स्टेशन पर जिंदगी की शाम हो जाये कोई नही जानता इसलिए इतनी ख़ुशियाँ बाँटिये के आपके बाद जब लोग आपके बारे में सोचे तो उनके जहन में आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा ही आये।

Tuesday 31 December 2013

Happy New Year

आज 2013 का आखिरी दिन है , सब नए साल के स्वागत के लिए तैयारी कर रहे है और काफी रोमांचित भी है नए साल को लेकर,  लेकिन मुझे नए साल मैं कुछ भी नया नजर नहीं आ रहा ।
     सिर्फ तारीख बदल जाने से जिंदगी नही बदला करती , जिंदगी जेब में रखे हैडफ़ोन कि तरह हो गयी है , जिसे रोज सुलझाता  हूँ  लेकिन फिर उलझ जाती है। परेशानिया गाजर घास कि तरह हो गयी है , जितनी कम करने कि कोशिश करता हूँ उतनी बढ़ती जाती है।
      जिंदगी का नाम ही उतार चढ़ाव है , चलते रहिये बढ़ते रहिये , अब जब जिंदगी जलेबी कि तरह उलझ ही  गयी है तो क्यों न चलकर कही चाशनी में डूबा जाये।  आने वाले हर दिन का स्वागत चेहरे पर मुस्कान के साथ करना है , क्योकि चेहरे पर मुस्कान हर मुश्किल आसान कर देती है।  :)

Monday 23 September 2013

आपकी जिंदगी , आपकी पसंद

इस दुनिया हर कोई एक सपने के साथ जीता है । हर किसी का कोई ना कोई सपना जरुर होता है ,हर इन्सान अपनी जिंदगी मे सफल होना चाहता है , और इसके लिए दिन रात कोशिश भी करता है  , लेकिन फिर भी कुछ ही लोग सफल हो पाते है ! 
              मैंने कई लोगो को ये कहते हुए सुना है या शायद मैंने भी यह बात बहुत बार कही  होगी की  मेरे सफल न होने का कारण कोई और है या शायद भगवान की मर्जी नही होगी इसलिए मैं सफल नही हो पा रहा हूँ । लेकिन इन सब के उलट सच यह है की हमारी कामयाबी या नाकामयाबी के जिम्मेदार हम खुद है ! 
        जिंदगी मे हमे कई बार चुनाव करना पड़ता है , अच्छे -बुरे , सही-गलत, छोटा - बड़ा , अपना-पराया कई चीजो का चुनाव हमे करना पड़ता है और यही चुनाव हमारा भविष्य तय करते है।
             बारिश  के  मौसम मे अगर हम बिना छाता लिए घर से बाहर जाते है और बारिश मे भीग जाते है तो क्या हम बारिश के लिए भगवान को दोष देंगे ? , हम भीगे इसलिए नही के बारिश हो रही है ,हम इसलिए भीगे क्योकि हम छाता लेकर नही आये। यह हमारी गलती नही है की हम बिना छाता लिए घर से आ गये?
         अपनी गलतियों , कमियों को छुपाने से कुछ नही होने वाला , अपनी गलतियों का ठीकरा दुसरो के सर फोड़ने से अच्छा है के हम अपनी पुरानी गलतियों से सिख लेकर उन्हें भविष्य मे दोहराने से बचे । अच्छी राह हमे अच्छी मंजिल तक ही ले जाएगी। इसलिए सही राह चुनिए मंजिल जरुर मिलेगी।।
      
       
       

Tuesday 23 April 2013

आओ एक सपना देखे :)

           मैं एक छोटे से शहर  मै पैदा हुआ , तीन भाई बहनों के परिवार मे सबसे छोटा था मैं , छोटा शहर , छोटी सी उम्र ,छोटा सा कद लेकिन मेरी सोच छोटी नही थी . कहते है बड़े सपने छोटे शहरो मे ज्यादा बिकते है , क्योकि छोटी सी जिन्दगी को बड़ा बनाने के लिए, बोरिंग सी जिन्दगी को चटपटा बनाने के लिए खुबसूरत सपनो का सहारा लेना हमारी मजबूरी भी होती है ! ऐसा ही एक छोटा सा शहर  है दलौदा  और वहा रह कर दुनिया का सबसे बड़ा आदमी बनने का सपना देखने वाला मैं विनीत जैन जिसके सपने उसके शहर से भी बड़े हो गये !
                  बड़ा आदमी बनाने का मेरा ये जूनून बचपन से ही मेरा साथ था , जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया मेरा ये जूनून उससे भी  बड़ा होता गया , कॉमिक्स पड़ने की उम्र मैं मैंने धीरुभाई अम्बानी, लक्ष्मी मित्तल, सुनील भारती , किशोर बियानी क बारे में पड़ना शुरू कर दिया , मैं हमेशा यही सोचता रहता क जब ये लोग इतना सब कर  सकते है तो मैं क्यों नही ,और इस एक सवाल ने मेरी जिंदगी के मायने बदल दिए , मेरी जिंदगी को एक नई दिशा मै  एक नई मंजिल की तरफ ले आया .
           
                 सपने देखिये , सपने देखना कोई बुरी बात नही है . पहचानिए अपने सपनो को , उन्हें छा जाने दीजिये अपने दिलो दिमाग पर , अपनी दुनिया से बाहर निकलिए रास्ता खुद ब खुद मिल जायेगा , याद रखिये कोई भी सपना तब तक सपना है जब तक आप उसको पूरा नही कर लेते , आपका वही  सपना पूरा होने के  बाद लोगो के लिए आपकी सफलता बन जाता है . सपना कुछ भी हो सकता है डोक्टर , वकील , इंजिनियर , पैन्टर , उद्योगपति या और भी कुछ बनने का जरुरत है सिर्फ उसे पहचानने की .
         
                  कहते है ना  जब आप तेज चलते है तो आपको अकेला ही चलना  पड़ता है , मैं भी अकेला निकल पड़ा हु अपनी मंजिल की तरफ , निकल पड़ा हु अपनी मंजिल की तलाश मैं एक ऐसे रास्ते  पर जहा  पीछे  मूड  कर देखना मना है, आपके कदम बढते  है  तो अपनी मंजिल , अपने सपने की और!  मैं तो चल दिया  हूँ एक अनजान सफ़र पर आप भी अपने सपने को पहचानिए और चल पड़िए  उसे पूरा करने के लिए ......... :)