Tuesday 23 April 2013

आओ एक सपना देखे :)

           मैं एक छोटे से शहर  मै पैदा हुआ , तीन भाई बहनों के परिवार मे सबसे छोटा था मैं , छोटा शहर , छोटी सी उम्र ,छोटा सा कद लेकिन मेरी सोच छोटी नही थी . कहते है बड़े सपने छोटे शहरो मे ज्यादा बिकते है , क्योकि छोटी सी जिन्दगी को बड़ा बनाने के लिए, बोरिंग सी जिन्दगी को चटपटा बनाने के लिए खुबसूरत सपनो का सहारा लेना हमारी मजबूरी भी होती है ! ऐसा ही एक छोटा सा शहर  है दलौदा  और वहा रह कर दुनिया का सबसे बड़ा आदमी बनने का सपना देखने वाला मैं विनीत जैन जिसके सपने उसके शहर से भी बड़े हो गये !
                  बड़ा आदमी बनाने का मेरा ये जूनून बचपन से ही मेरा साथ था , जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया मेरा ये जूनून उससे भी  बड़ा होता गया , कॉमिक्स पड़ने की उम्र मैं मैंने धीरुभाई अम्बानी, लक्ष्मी मित्तल, सुनील भारती , किशोर बियानी क बारे में पड़ना शुरू कर दिया , मैं हमेशा यही सोचता रहता क जब ये लोग इतना सब कर  सकते है तो मैं क्यों नही ,और इस एक सवाल ने मेरी जिंदगी के मायने बदल दिए , मेरी जिंदगी को एक नई दिशा मै  एक नई मंजिल की तरफ ले आया .
           
                 सपने देखिये , सपने देखना कोई बुरी बात नही है . पहचानिए अपने सपनो को , उन्हें छा जाने दीजिये अपने दिलो दिमाग पर , अपनी दुनिया से बाहर निकलिए रास्ता खुद ब खुद मिल जायेगा , याद रखिये कोई भी सपना तब तक सपना है जब तक आप उसको पूरा नही कर लेते , आपका वही  सपना पूरा होने के  बाद लोगो के लिए आपकी सफलता बन जाता है . सपना कुछ भी हो सकता है डोक्टर , वकील , इंजिनियर , पैन्टर , उद्योगपति या और भी कुछ बनने का जरुरत है सिर्फ उसे पहचानने की .
         
                  कहते है ना  जब आप तेज चलते है तो आपको अकेला ही चलना  पड़ता है , मैं भी अकेला निकल पड़ा हु अपनी मंजिल की तरफ , निकल पड़ा हु अपनी मंजिल की तलाश मैं एक ऐसे रास्ते  पर जहा  पीछे  मूड  कर देखना मना है, आपके कदम बढते  है  तो अपनी मंजिल , अपने सपने की और!  मैं तो चल दिया  हूँ एक अनजान सफ़र पर आप भी अपने सपने को पहचानिए और चल पड़िए  उसे पूरा करने के लिए ......... :)

                 

Thursday 18 April 2013

BEST FRIEND FOREVER

सोशल नेटवर्किंग के जमाने में मैंने भी अपने एक दोस्त के कहने पर फेसबुक पर प्रोफाइल बनाई! कुछ ही दिनों मै  मुझे  फेसबुक से एक अजीब सा लगाव हो गया ! मेरा कोई भी दिन फेसबुक के बिना नही बीतता था, ऐसा क्या दिया था फेसबुक ने मुझे , क्यों मैं घंटो फेसबुक पर रहता था , क्यों सन्डे को भी चैट करने ऑफिस जाता था,  दरअसल इनका जवाब तो मेरे साथ ही था लेकिन मै ही  पहचान ही नही पाया .
     जब मैं फेसबुक पर आया तो मुझे  कोई मिला था , एक लड़की, दोस्त, साथी  या उससे भी बढकर  , थोड़े ही दिनों में एक अजीब सा रिश्ता बन गया उसके साथ . सोचता हु अगर वो नही होती तो क्या मेरी हर शाम इतनी खुशनुमा  होती ,  
क्या वो रातें ज्यादा अकेली नही होती अगर अकेलापन बाटने वो नही आती , क्या मेरी व्यस्त जिंदगी इतनी हसीन हो सकती थी अगर वो मेरे साथ समय नही गुजारती ! उसके साथ की गयी घंटो की चैटिंग क्यों मिनटों की लगती है . फेसबुक के प्रति मेरा जो लगाव था वो दरअसल उस दोस्त क लिए था , और वो भी खास बन गया था मेरे लिए .
        जिन्दगी जितनी खुशियों भरी है उतनी ही सख्त भी है , अपनी मंजिल के पीछे दौड़ते हुए हमारी नजर कई चीजो से हट जाती है , इसलिए अपनी बिजी जिन्दगी से कुछ टाइम निकालिए और उस स्पेशल अहसास को पहचानिए , जो आपके लिए आपकी जिन्दगी को और ज्यादा हसीन बना दे , और शायद  आपको भी मेरी तरह कोई स्पेशल दोस्त मिल जाये !!!
                           खुश रहिये , चलते रहिये शायद कही  कोई आपके लिए इंतजार कर रहा हो कही  :)